Author name: rohniagrawal

kitab

मैं किस्सा नहीं कहानी हूँ, टुकड़ों में ज़िक्र होने वाला पन्ना नहीं इतमेनान से पड़ी जाने वाली किताब हूँ, मैं सितारा नहीं आसमान के अँधेरे में जो उजाला भर दें उस सितारे कि वो चमक हूँ।

Zindagi

ज़िन्दगी की तलाश में जीना भूल गए, ज़माने में फिट होने के चकर में उसी में खो गए, अपनी पहचान बनाने में इतना मेशरूफ हो गए कि खुदसे दूर होकर अपने ही अस्तित्व को को भूल गए।

Zindagi ki kitab

मैं किस्सा नहीं कहानी हूँ, टुकड़ों में ज़िक्र होने वाला पन्ना नहीं इतमेनान से पढ़े जाने वाली ज़िन्दगी की वो किताब हूँ, मैं सितारा नहीं आसमान के अँधेरे में जो उजाला भर दें उस सितारे की वो चमक हूँ।

She

She is an ocean Amidst the chaos, Flowing beautifully Through every obstacles coming her way, As her strength lies In the resilience.

Parents

Parents doesn’t give you life, in fact they are your whole life. Becoming parent and being parent is two different thing. Becoming parent is easy but being a parent is tough. There is a difference between becoming parent and being parent. For being a parent you need warmth, understanding, sacrifices, values. Being a parent is painstaking long process while you can become parents in few months. Sometimes for being a parent you have to become their philosopher, friend, guide, mentor, teacher, everything and what not.

Karma

Sometimes we think we are facing karma of one life but we are actually facing the karma of many lives. You think you have lived one life but you have lived many lives. Only karma can uplift you.

मालिक तेरा शुक्रिया

ए मालिक तेरा शुक्रिया इस नादान का आपने बहुत साथ दिया मेरी हर गलती हर नादानिया को आपने माफ़ किया ए मालिक तेरा शुक्रिया जब जग ने ठुकराया तब तुमने गले से लगागे हमें फर्श से अर्श तक पौचाया लाख खामियों के बावजूद हमारी तुमने हमें अपनाया ए मालिक तेरा शुक्रिया तुम जो ना होते तो वरना क्या होता हमारा कुछ नहीं था पास हमारे फिर भी कुछ देखे बिना जैसे है हम वैसे हमें स्वीकारा ए मालिक तेरा शुक्रिया फ़से जब कही भी तेरी सायहता ने हमें बाहार निकाला ए मालिक तेरा शुक्रिया उलझें जब कही पे तेरे मार्गदर्शन ने ज़िन्दगी को सवारा ए मालिक तेरा शुक्रिया डगमगाये जब कही हम तूने हमें संभाला देकर प्यार इतना तुमने हमें निखारा छाए बदल जब दुख के परेशानी हमारी लेकर ऊपर अपने अपनी लीलाओं से हमको हँसाया ए मालिक तेरा शुक्रिया दिया अपनों ने ताना बाना तुमने ख्याल रखा थामके हाथ मेरा फिर मुझसे मुँह कभी ना मोड़ा ए मालिक तेरा शुक्रिया।

Hari Hari

ऐसी लागी लगनवो तो गली गलीहरि गुण गाने लगीऐसी होगयी मगनवो खुदको हरिमें ढूंड़ने लगीऐसी लागी लगनभूलके अपने आप कोहरि की वो होने लगीफिक्र ना उसको दुनिया की ना फिक्र उसको अपनीकौन किसका क्या लागे हैवो तो हरि गुण गाने लगीना रितों में पड़ीना समाज कीरस्मो में बंदीवो तो बस हरिगुण गाने लगीकरते करते हरि की ही भक्तिवो तो हरि में ही विलीन हो गयी।

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