ऐसी लागी लगन
वो तो गली गली
हरि गुण गाने लगी
ऐसी होगयी मगन
वो खुदको हरि
में ढूंड़ने लगी
ऐसी लागी लगन
भूलके अपने आप को
हरि की वो होने लगी
फिक्र ना उसको दुनिया की
ना फिक्र उसको अपनी
कौन किसका क्या लागे है
वो तो हरि गुण गाने लगी
ना रितों में पड़ी
ना समाज की
रस्मो में बंदी
वो तो बस हरि
गुण गाने लगी
करते करते हरि की ही भक्ति
वो तो हरि में ही विलीन हो गयी।