अपनों के साथ रहते है
और उन्ही से लड़ते है
फिर कहते है अपनों से बेहतर पराये है
क्या विडंबना है खोद कर दूसरों के लिए खड़ा,
खुद गिर जाते है
और फिर शिकायत करते है
अपनों से बेहतर पराये है
अपनों की चुगली करते है
और फिर कहते है
अपनों से बेहतर पराये होते है
जब निभा नहीं पाते है
तो कहते फिरते है
अपनों से बेहतर पराये है।